haldi ki kheti

haldi ki kheti: हल्दी की खेती, एक एकड़ से निकाले 250 से 300 क्विंटल उपज

नमस्ते किसानों भाइयों भारतअग्री कृषि दुकान वेबसाइड में आपका स्वागत है, हल्दी, जिसे भारतीय मसालों का एक अनिवार्य घटक माना जाता है, का इस्तेमाल न सिर्फ खाने को स्वादिष्ट बनाने में होता है बल्कि इसका प्रयोग विभिन्न धार्मिक और मांगलिक अनुष्ठानों में भी किया जाता है। हल्दी की खेती आर्थिक रूप से भी लाभकारी साबित हो सकती है क्योंकि इसके गुणों की वजह से इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। हल्दी में एंटीबायोटिक गुण पाए जाते हैं, जिससे इसे घरेलू उपचार में भी उपयोग किया जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी हल्दी को विशेष स्थान प्राप्त है। काली हल्दी का उपयोग तंत्र-मंत्र आदि में भी होता है। चलिए, जानते हैं कि हल्दी की खेती किस प्रकार की जा सकती है और कैसे इससे अच्छी कमाई की जा सकती है।


भारत में कहा होती है हल्दी की खेती | Turmeric Farming in India 

आंध्र प्रदेश में हल्दी की खेती बहुतायत में की जाती है, और यहाँ का योगदान राष्ट्रीय उत्पादन में लगभग 40 प्रतिशत है। इसके अलावा, भारत के कई अन्य राज्य जैसे कि ओडिशा, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गुजरात, मेघालय और असम में भी हल्दी की खेती प्रचलित है। हाल ही में, उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में भी इसकी खेती शुरू हुई है। आंध्र प्रदेश में हल्दी का उत्पादन क्षेत्रफल का 38 से 58.5 प्रतिशत तक होता है।


हल्दी की किस्म | Turmeric crop variety 

1. किस्म आरएच-5: इस किस्म को पकने में 210 से 220 दिनों का समय लगता है, और इससे प्रति एकड़ 200 से 220 क्विंटल हल्दी का उत्पादन हो सकता है।

2. किस्म राजेंद्र सोनिया: इस किस्म की हल्दी को तैयार होने में 195 से 210 दिन लगते हैं, और इससे प्रति एकड़ 160 से 180 क्विंटल तक की उपज मिलती है।

3. किस्म पालम पीताम्बर: इस किस्म से प्रति एकड़ 132 क्विंटल हल्दी तक प्राप्त की जा सकती है।

4. किस्म सोनिया: इस किस्म को पकने में 230 दिनों का समय लगता है, और इससे प्रति एकड़ 110 से 115 क्विंटल उपज मिल सकती है।

5. अन्य किस्में: हल्दी की अन्य किस्में जैसे कि सगुना, रोमा, कोयम्बटूर, कृष्णा, आर, एनडीआर-18, बीएसआर-1, पंत पीतांबर आदि भी उपलब्ध हैं, जिनकी विशिष्टताएँ और उत्पादकता विविध हो सकती है।


हल्दी के सही कंदों का चुनाव कैसे करें ? | How to choose the right turmeric tubers?

हल्दी की खेती के लिए जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है, जिसे बाग या ऐसी छायादार जगहों पर बोया जाता है. उन्हाेंने बताया क‍ि हल्दी की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय अप्रैल से 15 जून तक है. इसकी बुआई के लिए लाइन से लाइन की दूरी 30-40 सेमी और पौध से पौध की दूरी 20 सेमी रखनी चाहिए, जबकि 4-5 सेमी गहराई में बुआई करनी चाहिए. हल्दी बुआई के लिए 6 क्विंटल प्रति एकड़ बीज की जरूरत पड़ती है. मिश्रित फसलों के लिए प्रति एकड़ 4-6 क्विंटल बीज पर्याप्त होता है. अगर  हल्दी की बुआई के लिए 7-8 सेंमी लम्बा कंद चुनें, जिसमें कम से कम दो आंखें हों. 


हल्दी की खेती के लिए उर्वरक का प्रयोग | Turmeric crop fertilizer management 

हल्दी लगाने से पहले प्रति एकड़ जमीन में 8 टन गोबर की खाद, नीम का केक 8 क्विंटल, नाइट्रोजन 60 किलो, फॉस्फोरस 35 किलो, और पोटैशियम 35 किलो डालना उचित रहेगा। पोटैशियम और फॉस्फोरस की आधी मात्रा बुवाई से पहले मिलाएं और नाइट्रोजन की आधी मात्रा के साथ शेष पोटैशियम 60 दिनों के बाद पौधों के विकास के समय डालें। नाइट्रोजन की बाकी मात्रा 90 दिन बाद डालनी चाहिए।


हल्दी की फसल में सिंचाई | Turmeric crop irrigation management 

हल्दी के पौधों को प्रारंभिक चरण में अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती है। गर्मियों में रोपण के समय, मानसून के आगमन से पहले पौधों को पानी देना आवश्यक होता है। इस समय अवधि में लगभग चार से पांच बार सिंचाई करनी चाहिए। सिंचाई के बाद यह सुनिश्चित करें कि पानी खेत में न ठहरे, इसके लिए उचित जल निकासी प्रणाली का होना जरूरी है। जरूरत के अनुसार आगे भी सिंचाई करते रहें।


हल्दी की फसल में खरपतवार प्रबंधन | Turmeric crop weed management 

हल्दी की खेती में खरपतवार का प्रबंधन महत्वपूर्ण होता है। बुवाई के तीन महीने के भीतर, दो से तीन बार खरपतवार हटाने की प्रक्रिया की जानी चाहिए। इसके एक महीने बाद फिर से निराई करनी चाहिए और जरूरत पड़ने पर पहले भी यह कार्य किया जा सकता है।


हल्दी की फसल के साथ मिश्रित व अंतर्फसली खेती | Turmeric crop intercropping

 हल्दी के साथ कई अन्य फसलों की खेती की जा सकती है, जैसे नारियल और सुपारी। इसके अतिरिक्त, मिर्ची, कचालू, प्याज, बैंगन, मक्का और रागी जैसे फसलों के साथ भी हल्दी की मिश्रित खेती संभव है। यह विधि खेती की उत्पादकता बढ़ाने में सहायक होती है।


हल्दी की फसल की खुदाई का समय और तरीका |  Turmeric crop harvesting 

हल्दी की फसल तब काटी जानी चाहिए जब इसके पेड़ की पत्तियाँ पीली पड़कर सूखने लगें। इसकी विभिन्न किस्मों के आधार पर, बोने के लगभग 7 से 9 महीने बाद, जनवरी से मार्च के मध्य में इसकी कटाई की जाती है। छोटी अवधि वाली किस्में 7-8 महीने में, मध्यम अवधि वाली किस्में 8-9 महीने में और लंबी अवधि वाली किस्में 9 महीने बाद तैयार होती हैं। खेत की जुताई करने के बाद, प्रकंदों को हाथ से सावधानीपूर्वक इकट्ठा किया जाता है और मिट्टी से अलग करने के बाद उन्हें अच्छी तरह से साफ किया जाना चाहिए।


Conclusion | सारांश - 

हल्दी की खेती (Turmeric crop farming) भारत में महत्वपूर्ण है, जो खाने के साथ-साथ धार्मिक और आयुर्वेदिक उपयोग के लिए भी किया जाता है। इसकी खेती कई राज्यों में की जाती है, जैसे कि आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात आदि। उत्पादकता बढ़ाने के लिए सही किस्मों का चयन, उर्वरक प्रबंधन, सिंचाई और खरपतवार प्रबंधन की आवश्यकता होती है। इसके साथ-साथ, मिश्रित फसल खेती की विधि और समयगत खुदाई भी महत्वपूर्ण होती है।यह सम्पूर्ण जानकारी आप को पसंद आई है, तो हमें कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरुरत दे और साथ ही इस लेख को अपने अन्य किसान दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूलें। धन्यवाद 


अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न |  FAQ -


1. हल्दी की खेती किस समय की जाती है?

उत्तर: हल्दी की बुआई अप्रैल से 15 जून तक की जाती है।

2. हल्दी के सही कंद कैसे चुनें?

उत्तर: 7-8 सेंमी लम्बे कंदों को चुनें, जिनमें कम से कम दो आंखें हों।

3. हल्दी की खेती के लिए कितना बीज चाहिए?

उत्तर: हल्दी की बुआई के लिए 6 क्विंटल प्रति एकड़ बीज की जरूरत होती है।

4. हल्दी की फसल का कटाई कब की जाती है?

उत्तर: हल्दी की फसल को जनवरी से मार्च के मध्य में काटा जाता है।

5. हल्दी की फसल के लिए किस प्रकार की मिट्टी उपयुक्त होती है?

उत्तर: बलुई दोमट मिट्टी को हल्दी की खेती के लिए सबसे अधिक माना जाता है।

6. हल्दी की फसल में कितनी सिंचाई की जानी चाहिए?

उत्तर: गर्मियों में 4-5 बार सिंचाई करनी चाहिए।

7. हल्दी की खेती में खरपतवार का प्रबंधन क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर: खरपतवार का प्रबंधन हल्दी की फसल के लिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह उत्पादकता को बढ़ाता है।

8. हल्दी की फसल के साथ कौन-कौन सी फसलें मिला सकती हैं?

उत्तर: हल्दी के साथ नारियल, सुपारी, मिर्ची, कचालू, प्याज, बैंगन, मक्का और रागी जैसी फसलें मिला सकती हैं।

9. हल्दी की फसल के लिए कितना उर्वरक प्रयोग किया जाता है?

उत्तर: प्रति एकड़ जमीन में 8 टन गोबर की खाद, नीम का केक 8 क्विंटल, नाइट्रोजन 60 किलो, फॉस्फोरस 35 किलो, और पोटैशियम 35 किलो प्रयोग किया जाता है।

10. हल्दी की फसल की खेती के बाद क्या किया जाता है?

उत्तर: खेत की जुताई करने के बाद, हल्दी की प्रकंदों को हाथ से सावधानीपूर्वक इकट्ठा किया जाता है और उन्हें अच्छी तरह से साफ किया जाता है।



Author | लेखक

BharatAgri Krushi Doctor

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